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Showing posts from July, 2019

एक राष्ट्रीय तीर्थ स्थल की यात्रा:Pilgrimage to know our India

आज हम एक ऐसे तीर्थ के बारे में जानेंगे जहां जाकर अपने प्यारे भारत देश की आत्मा को महसूस किया जा सकता है। प्रख्यात तीर्थ नगरी हरिद्वार में स्थित भारत माता मंदिर अपने निर्माण के समय से ही राष्ट्रवादी भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। शुरू में ही अनुरोध करता हूं। अगर हरिद्वार जाना हो, तो यहां जरूर जाएं।अगर भारतमाता की अमर संतानों को जानना हो तो यहां जरूर जाएं। अगर आप अपने भारत के भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वरुप को देखना चाहते हैं तो यहां जरूर जाएं। इस मंदिर में क्या है? यहां धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र की विभूतियों के दर्शन किये जा सकते हैं जिनके विचारों, शिक्षाओं एवं प्रयासों ने आज का भारत गढ़ा है।भारत के बारे में अनेक क़िताबें पढ़कर भी उतना जानना संभव नहीं, जितना यहां आकर एक बार घूमने से मिल सकता है! आइये, इस मंदिर का इतिहास जानें। 180 फ़ीट ऊंचे इस मंदिर का निर्माण स्वामी सत्यमित्रानंद जी के द्वारा सन 1983 में कराया गया। उस वक़्त की हमारी प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया। आइये, अब इसे घूमने चलें। यह मंदिर आठमंजिला है। इसकी हर मंजिल...

नहुष: एक पौराणिक कहानी Nahush: A story from Puranas

मित्रों, विश्वास है कि ये वेबसाइट आपको कुछ अच्छे विचारों से अवगत कराने में कारगर हो रही है! इसके पीछे आपलोगों का ही प्रेम और स्नेह है। आज हम एक पौराणिक कहानी लेंगे और इसका ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और तार्किक विश्लेषण करेंगे। हम देखेंगे कि हिन्दू धर्मग्रंथों की ये कहानी केवल कपोल कल्पना नहीं है।आप धार्मिक आस्था को परे रखकर अगर इसका इतिहास और विज्ञान की कसौटी पर तार्किक विश्लेषण करें, तो यह कहानी अपने असली स्वरूप में सामने आती है! आइये, शुरू करते हैं। राजा नहुष का वर्णन महाभारत में आता है। वह बहुत शक्तिशाली और लोकप्रिय राजा थे। उनके राज्य की शासन व्यवस्था को आदर्श माना जाता था।धर्म की उच्चतम मर्यादाओं पर आधारित शासन चलानेवाले नहुष का देवता भी सम्मान करते थे। अचानक देवलोक पर एक विपदा आ गई। असुरों ने आक्रमण करके देवताओं को परास्त कर दिया! देवराज इंद्र का आत्मविश्वास हिल गया। वे किसी अज्ञात स्थान पर जा छिपे! लेकिन बाकी देवगण डटे रहे। उन्होनें स्वर्ग वापस छीन लिया। असुरों को भगा दिया। अब देवताओं ने इंद्र से वापस आने का अनुरोध किया। लेकिन इंद्र नहीं माने। मानते भी कैसे? आप खुद सोचिए...

नचिकेता: मृत्यु से जीतनेवाला युवा Nachiketa : youth who conquered death

दोस्तों, आज कठोपनिषद के कुछ श्लोकों को देख रहा था!चलिए,आज इसीपर बात करते हैं। एक बात है! जब पूरे विश्व में सभ्यता का नामोनिशान नहीं था, उस समय भी भारतभूमि में वेद और उपनिषदों का प्रचार था! उन्नति की  चरम सीमा पर पहुंचा मानव मष्तिष्क ही वेद और उपनिषद में वर्णित विषयों को सोच सकता है।सोचिए, उनको रचनेवाले और हजारों पीढ़ियों तक उनको कंठस्थ करके सहेजनेवाले कैसे कमाल के लोग रहे होंगे! है न!!! मित्रों, मरते दम तक गर्व करो कि हम उस महान परंपरा के वंशज हैं! गर्व करो कि हम उसी धरती पर रहते हैं जिसपर कभी वो महापुरुष भी रहते थे, चलते थे और बोलते थे। उन्हीं की वजह से कभी हम विश्वगुरू भी कहे जाते थे! दोस्तों, अब भावुकता को छोड़ते हैं। आइये वापस कठोपनिषद पर! कठोपनिषद कमाल का ग्रंथ है! यह कृष्ण यजुर्वेद का एक भाग है। इसमें दो अध्याय हैं। ये अध्याय वल्लियों में बटें हुए हैं। प्रथम अध्याय में 71 और द्वितीय में 48 मतलब 119 कुल मंत्र हैं। इसकी रचना महान ऋषि कठ ने की। उनके नाम पर ही इस ग्रंथ का नाम रखा गया। अब जानते हैं कि कठोपनिषद में क्या कहा गया है। इसमें नचिकेता और मृत्यु के देवता यम...