" जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर।।"
आइये , अब इसका शाब्दिक अर्थ समझें।
" उन हनुमान जी की जय हो, जो ज्ञान और गुणों के सागर हैं। कपियों के अधिपति अर्थात हनुमानजी की जय हो जो तीनों लोकों में उजागर अर्थात प्रसिद्ध हैं"
मित्रों, अब हम इसके भावार्थ को देखेंगे। एक एक शब्द में छिपे गहन अर्थ को समझने का प्रयास करेंगे।
सबसे पहले " जय हनुमान" कहकर हनुमानजी की जयकार की गई है। ऐसा क्यों?
आइये एक उदाहरण से समझें। क्या आप किसी राजनीतिक रैली में गए हैं! वहां क्या होता है? जैसे ही कोई बड़े नेता आते हैं, जनता जिंदाबाद के नारे लगाती है।हर तरफ जोश ही जोश दिखने लगता है!
ऐसा क्यों किया जाता है?
ऐसा इसलिए किया जाता है कि नेता अथवा नायक को उसके बल का भान कराया जा सके। जब किसी को अपनी शक्तियों के ऊपर विश्वास हो, तभी वह किसी अभियान को उचित दिशा दे सकता है एवं जनसमूह का नेतृत्व कर सकता है। नायक जब अपनी शक्तियों पर भरोसा करते हुए जनसामान्य का आह्वान करता है तो उसका जोश एवं उसके गुण उसके अनुयायियों में भी संचारित होने लगते हैं। आज तक जितने भी बड़े आंदोलन हुए, उनमें यह बात देखी गयी है! जनता में उठी जोश की लहर ने नेतृत्वकर्ताओं को जन्म दिया! और बाद में इन्हीं नायकों ने जनसामान्य को एक नयी दिशा दी!
एक बात ध्यान दीजिए! जब माता सीता की खोज करने वानरसेना का दल दक्षिण दिशा की ओर निकला था, तो उस दल का मुख्य नायक कौन था?
" किष्किंधा के युवराज अंगद"
"और सबसे अनुभवी योद्धा?"
" जामवन्त"
" और हनुमान?"
" वो तो एक साधारण योद्धा मात्र थे!उनमें छिपे महानायक को अब तक केवल श्रीराम और जामवन्त ही पहचान सके थे!"
दक्षिण दिशा की ओर गया यह दल किष्किंधा का सबसे मजबूत सैन्यदल था। लेकिन प्रतिकूलताओं से निरंतर जूझते हुए उनकी शक्ति क्षीण हो गयी! समुद्र किनारे जाकर वो हिम्मत ही हार बैठे! युवराज अंगद ने हाथ खड़े कर दिए!
अब जामवन्त आगे आये। अपने ओजस्वी भाषण से सबको convince किया कि हनुमान ही समुद्र लांघने का कार्य कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनमें छिपे आत्मविश्वास को जगाना होगा। जामवन्त की बात सबकी समझ में आयी।
लेकिन हनुमानजी को समझाना कोई आसान कार्य थोड़े ही था!
वानर हार गए!
अब जामवन्त ने मोर्चा संभाला।समझाया कि उन्हें वायु देवता का पुत्र माना जाता है क्योंकि वे जब जिस समय चाहें, उस स्थान पर जा सकते हैं। दुनिया में कोई कार्य उनके लिए कठिन नहीं और उनका जन्म भगवान राम का कार्य करने के लिए हुआ है।
जब रामकाज की बात आई तो हनुमान जाग उठे! उन्हें उस मुद्रिका की याद आई जो चलते समय भगवान श्रीराम ने उन्हें प्रदान की थी। उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वह श्री रामचंद्र जी के अवतारी कार्य में सहयोग देने के लिए पैदा हुए हैं और अपनी शक्तियों का भान होने के लिए इतना काफी था! उन्होंने एक अंगड़ाई ली! एक हुंकार भरी!और लंका जाने के लिए तैयार हो गए।
अब वास्तविक रूप में उस सैन्य दल के नायक श्री हनुमान जी ही थे। चलते समय उन्होंने अपने साथियों को आदेश दिया -" जब तक मैं लौटकर नहीं आता तब तक आप अपनी सुरक्षा करें और कंदमूल खाकर अपने प्राणों की रक्षा करें"
जब उन्होंने अपने अभियान की शुरुआत की तो उन्हें आरंभ में देवताओं द्वारा भेजी गई सुरसा नाम की राक्षसी का सामना करना पड़ा जिसे उन्होंने अपने बुद्धि चातुर्य से जीता ।इसके बाद उन्होंने सिंहिका राक्षसी का सामना अपने अतुलित बल से किया इसके बाद लंका पहुंचकर वहां के युवराज विभीषण को अपने ज्ञान और बुद्धि से अपने पक्ष में किया और माता सीता का पता लगाया। इसके बाद रावण की सभा में अपने ओजस्वी भाषण से सबको प्रभावित किया ।यह सब दिखाता है कि उन्हें ज्ञान और गुणों का सागर कहना क्यों उचित था। लंका दहन करने एवं ब्रम्हास्त्र का सामना कर पाने से उनकी ख्याति तीनों लोकों में फैल गई। जिस तरह से रावण का भय तीनों लोकों में व्याप्त था ठीक उसी तरह से श्रीरामदूत हनुमान की ख्याति भी तीनों लोकों में फैल गई। लंका में मौजूद विदेशी राज्यों के प्रतिनिधियों ने इस बात को नोटिस किया और अपने राज्यों को बताया कि अब रावण को परास्त कर सकने वाली शक्ति जल्दी ही लंका पर आक्रमण करने वाली है और उन्हें इस युद्ध में तटस्थ रहना चाहिए या श्रीराम की सहायता करनी चाहिए ।
हम आसानी से देख सकते हैं कि किष्किंधासे समुद्र तट का फासला श्रीराम की सेना ने बिना किसी प्रतिरोध के बड़ी आसानी से तय कर लिया और रास्ते में पड़ने वाले किसी भी राज्य ने उनका कोई विरोध नहीं किया।
इस तरह देखा जाए तो श्री हनुमान चालीसा की यह पहली चौपाई वास्तव में उसका सारांश है इस चौपाई के बाद से हम आगे जाकर इस बात का वर्णन पाते हैं कि श्रीहनुमान जी ज्ञान और गुणों के सागर किस तरह से हैं। एक साधारण वानर परिवार में जन्म लेकर भी वह कैसे कपीश अर्थात कपियों के अधिपति बने और क्यों उनके ज्ञान और पराक्रम की ख्याति तीनों लोकों में फैली ।
इस तरह यह पहली चौपाई हमें हनुमान चालीसा का सारांश बताती है और शुरू से ही हमारे विश्वास और हमारे जोश को उच्चतम स्तर पर ले जाने का कार्य करती है ।यह मनोविज्ञान की एक सामान्य बात है कि जब भी जयघोष करके किसी कार्य का आरंभ किया जाता है तो उसके सफल होने की संभावनाएं अत्यधिक हो जाती हैं ।किसी भी पवित्र या सामूहिक कार्य को करते समय इसी वजह से सामूहिक नारे अथवा जयघोष करने की परंपरा है। युद्ध में जाने से पूर्व भी सेनाओं द्वारा युद्ध का जयघोष इसी कारणवश किया जाता है। इस प्रकार इस प्रथम चौपाई के द्वारा श्री हनुमान जी का जयघोष करके हम इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि जिस उद्देश्य से इस चालीसा का पाठ किया जा रहा है वह निस्संदेह सफल होगा!
दोस्तों, अब तक अनेक चालिसायें लिखी जा चुकी हैं। लेकिन हनुमान चालीसा की लोकप्रियता सबसे अधिक है! इसका कारण इसके शब्दों के गठन में छिपा है। प्रथम चौपाई से ही यह आपके अंदर मौजूद प्राणऊर्जा को उलट पलट कर उसे अत्यधिक बढ़ा देती है। ऐसा कैसे होता है, इसे योग के सिद्धांतों से समझा जा सकता है। इसकी विस्तार से चर्चा हम किसी अन्य लेख में करेंगे। इस चालीसा के नियमित पाठ से जब व्यक्ति की प्राणऊर्जा उच्च स्तर पर पहुंच जाती है तो वह कठिन समझे जानेवाले कार्यो को भी कर सकता है।
दोस्तों, मानव इतिहास में ऐसी अनेक स्तुतियों एवं ग्रंथों की रचना की गयी है जिनका अध्ययन करने से हमारी प्राणऊर्जा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निराशा के क्षणों में इनका अध्ययन करने से हमें उस अवस्था से बाहर निकलने का बल प्राप्त होता है। ऐसी रचनाएं आप संसार के सभी धर्मग्रंथों में देख सकते हैं, जिनका श्रद्धापूर्वक अध्ययन करके हर दिन करोड़ों लोग शांति और बल प्राप्त करते हैं।
लेकिन हनुमान चालीसा इस मामले में विशिष्ट है कि इसकी रचना आधुनिक युग में हुई है और यह दुनिया की उन गिनी चुनी स्तुतियों में से एक है जिनमें भगवान नहीं बल्कि उनके भक्त का महिमामंडन किया गया है! यह इतनी सरल है कि पांच साल के बालक की भी समझ में आ जाती है। साथ ही इतनी जटिल है कि बड़े से बड़े विद्वान का भी सर चकरा जाता है!
मित्रों, हम हनुमानजी की इस चालीसा पर अपनी चर्चा आगे के लेखों में भी जारी रखेंगे। यह देखेंगे कि योग के सिद्धांतों द्वारा किस तरह इनमें छिपी उन बातों को भी समझा जा सकता है जो हमें इसका सामान्य रूप से पाठ करने पर दिखाई नहीं देतीं।
आशा है, यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा!
आपकी अपनी वेबसाइट ashtyaam. com को प्यार देने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं!
Bahut hi accha...
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