आइये, पंद्रह- बीस साल पीछे चलते हैं।एक गाँव है।शहर से दूर।कच्ची सड़क। मिट्टी के मकान। खपरैल की छत।गाँव मे दो तीन मकान पक्के भी हैं लेकिन बहुमत कच्चे का ही है। सारे घरों में कुछ चीज़ें common हैं। मिट्टी के घड़े। कांसे पीतल के बर्तन। मिट्टी के चूल्हे। और? और तुलसी का पौधा। हर घर के आंगन में लगा तुलसी का पौधा। यही है वो जो हर घर को जीवंत कर रहा है! लोगों की आस्था का केंद्रबिंदु बना है! सुबह शाम इसके आगे दिया जलता है। आरती- भजन होते हैं। घर के बच्चे भी बड़ों को देखादेखी इसके आगे शीश झुकाते हैं। कुछ याद आ रहा है आपको? शाम घिरतीआ रही है।अन्धेरा फैलने लगा है। बच्चे भी खेल कूदकर आंगन में आ चुके हैं। तभी घर की कोई स्त्री , माँ, चाची, दादी, कोई भी, एक दीया जलाकर लाती है। तुलसी वृक्ष के सामने रखती है। कुछ प्रार्थना करती है। और देखिए, बच्चे भी वहाँ जाकर, हाथ जोड़कर सिर झुका चुके हैं। वर्तमान पीढ़ी की श्रद्धा भविष्य की पीढ़ी में संचारित या transfer हो रही है। ढलती हुई शाम। और जलता हुआ दीपक। अन्धकार को विदीर्ण करता प्रकाश।जिन्होंने भी इस पल को अंदर तक जिया है, वो जिंदगी में कभी हार नहीं मानते। शहर ...
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