आज एक छोटी सी कहानी ।लेकिन इसका अर्थ बहुत बड़ा है।इसे पढ़ने के बाद कुछ देर आँखें बंद करके सोचें।आपको अपने अंदर एक शक्ति का अहसास जरूर होगा।
आइये,शुरू करते हैं।
एक गिलहरी थी।मासूम सी। एक बहुत बड़े वृक्ष के नीचे रहती थी।उसी पेड़ पर एक बाज़ भी रहता था।तेज और शक्तिशाली।सारे पक्षी उसका सम्मान करते थे। वहीं गिलहरी बहुत डरपोक थी।मनुष्यों से उसे सबसे ज्यादा डर लगता था।जैसे ही कोई मनुष्य पेड़ के नजदीक आता, वह भागकर अपने घोंसले में छिप जाती!
एक दिन, गिलहरी धूप सेंक रही थी। तभी एक बिल्ली ने उसका शिकार करना चाहा। गिलहरी बिल्कुल बेखबर होकर सो रही थी। बिल्ली उसके नजदीक आकर उसपर झपटने ही वाली थी। तभी बाज ने ऊपर से देखा। वह पूरी ताकत से उड़कर नीचे आया और बिल्ली के सर पर चोंच मारी। बिल्ली दर्द से चिल्लाने लगी।गिलहरी झट से भागकर अपने बिल में जा घुसी।उसकी जान बच गयी।
इस घटना के बाद गिलहरी और बाज़ में दोस्ती हो गयी। गिलहरी अक्सर पूछा करती-तुम इतने शक्तिशाली कैसे बने? बाज़ कहा करता- अपनी शक्ति में भरोसा करके।लेकिन गिलहरी नहीं समझ पाती- आखिर अपने ऊपर भरोसा कैसे किया जाए?
एक दिन मौका आ गया। एक बहेलिया वृक्ष के नजदीक आया।गिलहरी झट से भागकर अपने बिल में घुस गयी। बिल के अंदर से ही शिकारी को देखती रही।संयोगवश बाज़ उस समय असावधान था। बहेलिये ने धनुष बाण निकाला और उसपर निशाना साधने लगा।गिलहरी धर्मसंकट में पड़ गयी।कुछ क्षणों में ही फैसला करना था।बाज को मर जाने दे अथवा अपनी खुद की जान संकट में डालकर उसे बचा ले। गिलहरी ने फैसला कर लिया।
बहेलिया तीर छोड़ने ही वाला था। तभी गिलहरी दौड़कर उसके शरीर पर जा चढ़ी। बहेलिया हड़बड़ाया और उसका निशाना चूक गया। बाज पलक झपकते ही उड़ गया। गिलहरी भी भागकर बिल में जा घुसी!
अब गिलहरी पहले जैसी नहीं रही थी।जिस मनुष्य की आहट से भी वह कांपती थी, उसका सामना करने के बाद उसका डर गायब हो चुका था। उसने जिंदगी में पहली बार अपने ऊपर भरोसा किया था और विजयी रही थी।
ऊपर की कहानी में एक मनोवैज्ञानिक सत्य छिपा है- हम जिन चीजों से अक्सर डरते हैं, साहस दिखाकर उनका सामना किया जाए तो इनपर विजय प्राप्त की जा सकती है। ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जब विपत्ति में पड़े लोगों ने साहस दिखाया और एक hero बनकर उभरे।आवश्यकता एक ही है- अपने ऊपर भरोसा!
आइये,शुरू करते हैं।
एक गिलहरी थी।मासूम सी। एक बहुत बड़े वृक्ष के नीचे रहती थी।उसी पेड़ पर एक बाज़ भी रहता था।तेज और शक्तिशाली।सारे पक्षी उसका सम्मान करते थे। वहीं गिलहरी बहुत डरपोक थी।मनुष्यों से उसे सबसे ज्यादा डर लगता था।जैसे ही कोई मनुष्य पेड़ के नजदीक आता, वह भागकर अपने घोंसले में छिप जाती!
एक दिन, गिलहरी धूप सेंक रही थी। तभी एक बिल्ली ने उसका शिकार करना चाहा। गिलहरी बिल्कुल बेखबर होकर सो रही थी। बिल्ली उसके नजदीक आकर उसपर झपटने ही वाली थी। तभी बाज ने ऊपर से देखा। वह पूरी ताकत से उड़कर नीचे आया और बिल्ली के सर पर चोंच मारी। बिल्ली दर्द से चिल्लाने लगी।गिलहरी झट से भागकर अपने बिल में जा घुसी।उसकी जान बच गयी।
इस घटना के बाद गिलहरी और बाज़ में दोस्ती हो गयी। गिलहरी अक्सर पूछा करती-तुम इतने शक्तिशाली कैसे बने? बाज़ कहा करता- अपनी शक्ति में भरोसा करके।लेकिन गिलहरी नहीं समझ पाती- आखिर अपने ऊपर भरोसा कैसे किया जाए?
एक दिन मौका आ गया। एक बहेलिया वृक्ष के नजदीक आया।गिलहरी झट से भागकर अपने बिल में घुस गयी। बिल के अंदर से ही शिकारी को देखती रही।संयोगवश बाज़ उस समय असावधान था। बहेलिये ने धनुष बाण निकाला और उसपर निशाना साधने लगा।गिलहरी धर्मसंकट में पड़ गयी।कुछ क्षणों में ही फैसला करना था।बाज को मर जाने दे अथवा अपनी खुद की जान संकट में डालकर उसे बचा ले। गिलहरी ने फैसला कर लिया।
बहेलिया तीर छोड़ने ही वाला था। तभी गिलहरी दौड़कर उसके शरीर पर जा चढ़ी। बहेलिया हड़बड़ाया और उसका निशाना चूक गया। बाज पलक झपकते ही उड़ गया। गिलहरी भी भागकर बिल में जा घुसी!
अब गिलहरी पहले जैसी नहीं रही थी।जिस मनुष्य की आहट से भी वह कांपती थी, उसका सामना करने के बाद उसका डर गायब हो चुका था। उसने जिंदगी में पहली बार अपने ऊपर भरोसा किया था और विजयी रही थी।
ऊपर की कहानी में एक मनोवैज्ञानिक सत्य छिपा है- हम जिन चीजों से अक्सर डरते हैं, साहस दिखाकर उनका सामना किया जाए तो इनपर विजय प्राप्त की जा सकती है। ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जब विपत्ति में पड़े लोगों ने साहस दिखाया और एक hero बनकर उभरे।आवश्यकता एक ही है- अपने ऊपर भरोसा!
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