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Showing posts from 2018

भय का सामना: Conquering over the fear

आज एक छोटी सी कहानी ।लेकिन इसका अर्थ बहुत बड़ा है।इसे पढ़ने के बाद कुछ देर आँखें बंद करके सोचें।आपको अपने अंदर एक शक्ति का अहसास जरूर होगा। आइये,शुरू करते हैं। एक गिलहरी थी।मासूम सी। एक बहुत बड़े वृक्ष के नीचे रहती थी।उसी पेड़ पर एक बाज़ भी रहता था।तेज और शक्तिशाली।सारे पक्षी उसका सम्मान करते थे। वहीं गिलहरी बहुत डरपोक थी।मनुष्यों से उसे सबसे ज्यादा डर लगता था।जैसे ही कोई मनुष्य पेड़ के नजदीक आता, वह भागकर अपने घोंसले में छिप जाती! एक दिन, गिलहरी धूप सेंक रही थी। तभी एक बिल्ली ने उसका शिकार करना चाहा। गिलहरी बिल्कुल बेखबर होकर सो रही थी। बिल्ली उसके नजदीक आकर उसपर झपटने ही वाली थी। तभी बाज ने ऊपर से देखा। वह पूरी ताकत से उड़कर नीचे आया और बिल्ली के सर पर चोंच मारी। बिल्ली दर्द से चिल्लाने लगी।गिलहरी झट से भागकर अपने बिल में जा घुसी।उसकी जान बच गयी। इस घटना के बाद गिलहरी और बाज़ में दोस्ती हो गयी। गिलहरी अक्सर पूछा करती-तुम इतने शक्तिशाली कैसे बने? बाज़ कहा करता- अपनी शक्ति में भरोसा करके।लेकिन गिलहरी नहीं समझ पाती- आखिर अपने ऊपर भरोसा कैसे किया जाए? एक दिन मौका आ गया। एक बहेलिया वृक्ष क...

तर्कसंगत सोच की शक्ति:Rational Thinking

एक व्यापारी था।उसके चार बेटे थे।चारों देखने में, बात करने में तो अच्छे-खासे थे।लेकिन एक कमी थी।रात में उन्हें दिखाई कम देता था लेकिन ये बात परिवार से बाहर कोई नहीं जानता था।व्यापारी अपनी बुद्धिमानी से सब संभाल लेता था। समय गुजरता गया।व्यापारी वृद्ध हो चला था।अब किसी को उत्तराधिकारी बनाना था।लेकिन समस्या आ गयी।हर बेटा अपने आप को सबसे अच्छा मानता था।तो किसको चुना जाए? एक उपाय निकला।व्यापारी ने एक मंदिर बनवाया था।उसका उदघाट्न inaugration होने वाला था। ये तय हुआ कि चारों लड़के उस मंदिर में जाएंगे। जो भी वहाँ का सबसे बारीक एवं सटीक वर्णन करेगा वही उत्तराधिकारी बनेगा। Date निश्चित हो गयी। चारो लड़के competition जीतने की तैयारी में लगे। बड़े लड़के को भरोसा था कि वही सबसे काबिल है।और बाकी तीनों मूर्ख हैं।उसने एक डायरी निकाली। पुजारी को बुलाया जिसे पूजा के लिए रखा गया था।उससे पूछा-अगर कोई पूछे तो मंदिर का वर्णन कैसे करना चाहिए।पुजारी ने जो उत्तर दिया,उसने Diary में लिख लिया। उसे याद कर लिया। दूसरे की योजना थोड़ी अलग थी। वो समझ चुका था- किसी ऐसे व्यक्ति से पूछना होगा- जो उस मंदिर में आता जाता...

Mundeshwari: The most ancient temple in india

भारत का सर्वाधिक प्राचीन मंदिर अर्थात most ancient temple  कहाँ है ? इसका उत्तर देश के हर हिस्से में अलग अलग मिलता है। महाबलीपुरम,कैलाशनाथ,तुंगनाथ - हर राज्य में कोई न कोई उत्तर मिलेगा। क्यों ? क्योंकि लोगों को लगता है की धर्म की शुरुआत उनके यहाँ से ही हुयी है ! ये गौरव का विषय माना जाता है। आज हम ऐसे ही एक मंदिर के बारे में जानेंगे जिसे कई इतिहासकार भारत का सबसे प्राचीन मंदिर मानते हैं। मुंडेश्वरी देवी का ये मंदिर कैमूर की पहाड़ियों में स्थित है।ये मंदिर कब बना, इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं लेकिन उन प्राचीन यात्रियों के साक्ष्य जरूर मिल जाते हैं जो कभी यहां आए थे।यहां श्रीलंका के एक बौद्ध शासक की मुद्रा मिली है जो ईसा पूर्व पहली सदी में राज्य करता था।इससे दो बातें पता चलती हैं- आज के दो हजार साल पहले भी यहां तीर्थस्थल था।दूसरा ये कि यहां बौद्ध परंपरा का भी प्रभाव था।अब एक और तथ्य। ये मंदिर राजा उदयसेन ने बनवाया- इसका एक शिलालेख मिला है। इनपर काफी शोध हुए हैं।वे पहली सदी में कुषाण शासकों के अधीन राज्य करते थे। 1900 साल पूर्व!मतलब साफ है।ये स्थल सभ्यता के आरंभ से ही आस्था का केंद्र है...

सरदार वल्लभ भाई पटेल: Iron Man of India

1928।बारदोली।गुजरात। वहां किसान बड़े परेशान थे।अंग्रेज़ों ने लगान 30 प्रतिशत कर दिया था।उपज हो नहीं रही थी। फिर लगान कहाँ से देते! इसके खिलाफ आंदोलन भी किया।लेकिन कोई असर नहीं।अंग्रेज़ों ने इसे कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए।हजारों को कैद कर लिया। लेकिन एक व्यक्ति बड़े संतुलित दिमाग से ये देख रहा था।समझ रहा था-किसानों पर अत्याचार और अंग्रेजों की कूटनीति।किसान इस वजह से शोषित हो रहे थे क्योंकि उनके पास ठोस, सुनियोजित योजना नहीं थी।उसने महसूस किया- अब ये अत्याचार समाप्त होना ही चाहिए। अब इतिहास बदलने वाला था।उसने संघर्ष को एक planned approach दिया। कौन कब नेतृत्व करेगा।कौन सत्याग्रह,धरने पर कहाँ बैठेगा।कौन मीडिया मैनेजमेंट करेगा।कौन संसाधन जुटाएगा।ये सबकुछ उसके विलक्षण दिमाग ने निर्धारित कर लिया।और सबसे बड़ी बात-उसने महिलाओं को सक्रिय भूमिका में जोड़ लिया। किसानों के इस संघर्ष को उसने जनता का संघर्ष बना दिया।परिणाम? इस सत्याग्रह ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की देश विदेश के बड़े नेताओं का ध्यान इसी तरफ खिंच गया।अंग्रेज़ अधिकारी रातों रात सुधर गए! 30 प्रतिशत लगान घटकर 6 प्रतिशत हो गया!महात्मा गांधी भी...

दीपावली: एक दीपक प्रकाश का!

दीपावली। मतलब दीपों की पंक्तियाँ। दीप हमारे विश्वास और आशा का प्रतीक हैं। हर खुशी, हर त्योहार पर, हर पूजा में दीप जरूरी है।दीपावली अमावस्या की रात को मनाई जाती है। अमावस्या अर्थात वह रात्रि जब अंधकार सबसे घना होता है।हर तरफ जलते दिए इस बात का संदेश देते हैं कि प्रकाश के सामने अंधकार टिक नहीं सकता! दुनिया के हर देश में कोई न कोई पर्व ऐसा जरूर मिल जाएगा जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।स्पेन का Las fallas। फ्रांस का festival of lights जो दिसम्बर में होता है।चीन का Lantern festival।कोई न कोई पर्व आप हर देश में पाएंगे। हर परंपरा का एक इतिहास होता है।दीपावली का भी है। एक नहीं अनेकों मान्यतायें हैं। एक लोककथा इसे भगवान राम से जोड़ती है।वे जब रावण पर विजय प्राप्त करके अपनी राजधानी अयोध्या लौटे तो लोगों ने दीप जलाकर खुशियां मनायीं।एक अन्य मान्यता इसे भगवान कृष्ण से जोड़ती है।उन्होंने नरकासुर को मारा।उसे नरकासुर कहने का कारण था- उसका राज्य अच्छे लोगों के लिए नरक के समान कष्टकारी था।धर्म को मानने वालों को वह बहुत कष्ट देता था। उसे एक फोबिया या डर था- कोई स्त्री उसे मार देगी।नतीजा?...

सकारात्मक प्रोत्साहन : एक शक्तिशाली उपाय

एक परिचित मिले।बोले- आजकल दुखी लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।कारण? दुख है। कौन सा दुख? मन का दुख। सही बात है। ये महसूस भी होता है। मन प्रसन्न हो तो सब अच्छा लगता है।दुखी हो तो...। दुख के मुख्य तीन प्रकार है। दैहिक दुख। ये हमारे शरीर मे होता है। जैसे बुखार, दर्द, बीमारी। दूसरा है भौतिक। ये दुख जब आता है तो हमारे साथ और लोगों को भी पीड़ित करता है। जैसे भूकंप, महामारी, भ्रष्टाचार। तीसरा है मानसिक।मन का दुख।उदासी, अशांति,कुछ खोने का डर, किसी घटना का डर। ये तो हुए प्रकार। अब इनका उपाय। दैहिक कष्ट का उपाय है दवाइयां। डॉक्टर।वैद्य।सही भोजन।स्वस्थ जीवनशैली। दैविक कष्ट। उपाय है शक्ति।अपने आप को मजबूत बनाइये। बलवान व्यक्ति के जीतने की संभावना ज्यादा होती है। मानसिक कष्ट का उपाय।कष्ट के कारण को ढूंढें। कारण दूर होगा तभी दुख मिटेगा। उदाहरण।एक विद्यार्थी है। उसने परीक्षा दी।फेल हो गया। कुछ ने ताने दिए। कुछ ने मजाक भी उड़ाया। लो- हो गया कष्ट। अब चलें उपाय की ओर। उपाय क्या है? पहले कारण ढूँढिये। क्या परीक्षा में असफल होना कष्ट का मूल कारण है? नहीं। उसका मजाक उड़ाना? नहीं।तो? मूल कारण ये है ...

कुछ बातें अतीत की: कुछ वर्तमान की

आइये, पंद्रह- बीस साल पीछे चलते हैं।एक गाँव है।शहर से दूर।कच्ची सड़क। मिट्टी के मकान। खपरैल की छत।गाँव मे दो तीन मकान पक्के भी हैं लेकिन बहुमत कच्चे का ही है। सारे घरों में कुछ चीज़ें common हैं। मिट्टी के घड़े। कांसे पीतल के बर्तन। मिट्टी के चूल्हे। और? और तुलसी का पौधा। हर घर के आंगन में लगा तुलसी का पौधा। यही है वो जो हर घर को जीवंत कर रहा है! लोगों की आस्था का केंद्रबिंदु बना है! सुबह शाम इसके आगे दिया जलता है। आरती- भजन होते हैं। घर के बच्चे भी बड़ों को देखादेखी इसके आगे शीश झुकाते हैं। कुछ याद आ रहा है आपको? शाम घिरतीआ रही है।अन्धेरा फैलने लगा है। बच्चे भी खेल कूदकर आंगन में आ चुके हैं। तभी घर की कोई स्त्री , माँ, चाची, दादी, कोई भी, एक दीया जलाकर लाती है। तुलसी वृक्ष के सामने रखती है। कुछ प्रार्थना करती है। और देखिए, बच्चे भी वहाँ जाकर, हाथ जोड़कर सिर झुका चुके हैं। वर्तमान पीढ़ी की श्रद्धा भविष्य की पीढ़ी में संचारित या transfer हो रही है। ढलती हुई शाम। और जलता हुआ दीपक। अन्धकार को विदीर्ण करता प्रकाश।जिन्होंने भी इस पल को अंदर तक जिया है, वो जिंदगी में कभी हार नहीं मानते। शहर ...

अटल बिहारी वाजपेयी: एक नेता जिसने जनता के दिलों पर राज किया

हिमाचल प्रदेश। साल था 1993। एक विमान धर्मशाला की तरफ उड़ा जा रहा था। धर्मशाला मतलब पहाड़ियों के बीच बसा हिमाचल प्रदेश का एक विख्यात पर्यटन स्थल। अचानक पायलट को लगा कि वह रास्ता भूल गया है। सड़क पर अगर कोई रास्ता भूल जाये तो चिंता नहीं होती।पर हजारों फ़ीट ऊपर आसमान में रास्ता भटकने का मतलब है, सीधे अपनी मौत को बुलाना।खैर, ऐसी परिस्थिति में एक काम किया जा सकता है, अपने नीचे देखते रहिये। जहां भी हवाई पट्टी दिखे, बस लैंड कर जाइये।लेकिन निर्जन पहाड़ियों में हवाई पट्टी भला कौन बनाकर रखता है!वो तो धर्मशाला में ही थी अथवा जिला मुख्यालय स्तर के किसी शहर में ही हो सकती थी। अब पायलट तो इस भूभाग से परिचित था नही- अगर होता तो भटकता नहीं न! खैर, मरता क्या न करता!उसने अपने यात्रियों से पूछा- क्या आप ऊपर आसमान से धर्मशाला शहर को पहचान सकते हैं? अब घबराने की बारी यात्रियों की आयी थी।लेकिन एक यात्री बिल्कुल शांत रहा।कोई शिकन तक नहीं।बोला- अगर क्रैश ही होना है तो चिंता क्यों करूँ!मैं सो जाता हूँ।जगते हुए क्रैश हुआ तो ज्यादा तकलीफ होगी। बात कहने के निराले अंदाज एवं उसकी निश्चिंतता से पायलट का भय भी छूमंतर हो...

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा: The Indian National Flag

आज बात करते हैं अपने राष्ट्रीय ध्वज Indian National Flag के बारे में।जब भी हम अपने तिरंगे झंडे को देखते हैं, जोश आ जाता है न! जी हाँ, वो तो आएगा ही। ये ध्वज हम एक अरब से ज्यादा लोगों की शान जो है! Indian National Flag अर्थात हमारे राष्ट्रीय ध्वज के बारे में इतिहास हमें बताता है कि आज जिस ध्वज को हम पूरी शान के साथ फहराते हैं, वो हमें बड़े संघर्षों के बाद मिला है। हमारी ही बात नहीं, दुनिया के हर देश को उसका झंडा असंख्य बलिदानों के बाद ही मिला है। ऐसा क्यों? इसलिए कि झंडा हमारी एकता, अखंडता एवं independene का प्रतीक होता है। जो देश गुलाम थे उनका कोई झंडा था ही नहीं। हो भी कैसे?झंडे के लिए पहले संविधान होना चाहिए। क्योंकि जबतक झंडा संविधान से approved न हो तबतक वो पूरे देश में मान्य कैसे होगा! हमारे तिरंगे झंडे को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा के द्वारा स्वीकृत किया गया था।                      The Indian National Flag तिरंगे को विश्व के सबसे सुंदर राष्ट्रीय ध्वजों में एक माना जाता है। इसमें समाहित हर रंग, बीच में मौजूद चक्र एक खास...

महर्षि वाल्मीकि: The person who selected right path

महर्षि वाल्मीकि का नाम भला कौन नहीं जानता! उन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की, जिसमें करोडों लोग श्रद्धा रखते हैं। उन्हें आदिकवि भी कहा जाता है क्योंकि भाषा के शब्दों को गाने योग्य काव्य के रूप में रचने की शुरुआत उन्होंने ही की थी। ये तो है उनका सामान्य परिचय। उनके बारे में अनेक कहानियां हैं।अनेक मान्यताएं हैं। सबमें दो बातें common हैं- पहली,उनका प्रारंभिक जीवन उनकी बुरी habits के चलते बहुत बुरा बीता था। दूसरी बात, उन्होंने कठिन परिश्रम एवं लगन से सारी कमियों को conquer किया और अपने समय के सबसे बड़े scholar बने- रामायण जैसी रचना लिखी।आज अष्टयाम डॉट कॉम का यह लेख इन्हीं वाल्मीकि जी पर केंद्रित है। वाल्मीकि का नाम रत्नाकर हुआ करता था।अपने प्रारंभिक जीवन में साहित्य, कविता,ज्ञान- विज्ञान के बारे में वो कुछ नहीं जानते थे। उनका बचपन घनघोर जंगल में बीता। वो कभी स्कूल- कॉलेज नहीं गए। जवान हुए तो परिवार का बोझ भी उनपर आ पड़ा।आगे जाकर उन्होंने एक ऐसा career चुन लिया जो कहीं से भी ठीक नही था। वो उस जंगल से गुजरने वाले यात्रियों को लूटने लगे। लेकिन कहते हैं न- ईश्वर हर किसी को मौका देता...

अष्टयाम- सकारात्मक विचारों को समर्पित एक वेबसाइट

आज विजयादशमी है- अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक।कहते हैं,आज ही के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया। एक मानव ने दानवों के राजा पर विजय प्...