मनोविज्ञान के एक शोधार्थी ने पूछा है- क्या योग से व्यक्तित्व अर्थात personality को बदला जा सकता है?
ये एक बहुत बड़ा सवाल है।
आजकल योग की हर तरफ धूम है।कई तरह की बातें हम योग गुरुओं से सुन रहे हैं।
" योग भगाए रोग"
"योग रखे नीरोग"
" योग से बदलें जीवन"
" योग में है सभी जीवन की सभी समस्याओं का हल"
दोस्तों, इस तरह की बातें आपने अक्सर किसी न किसी योग गुरु के मुंह से सुनी होंगी या अखबारों में पढ़ी होंगी।
आइये, इनपर विचार करते हैं। योग विशेषज्ञों, गुरुओं की राय लेते हैं।बिल्कुल सरल ढंग से इन चीजों को समझते हैं।
दोस्तों,सबसे पहले एक चीज़ समझ लीजिए- एक योग विशेषज्ञ और एक योग गुरु में काफी difference होता है।
"कैसे?"
एक आदमी किसी यूनिवर्सिटी से योग में पढ़ाई करके डिग्री हासिल करता है।योग में बीए, एमए, पीएचडी करता है। किसी संस्थान से जुड़कर या स्वतंत्र ढंग से practice करता है। ऐसे आदमी को आप योग विशेषज्ञ कह सकते हैं।
एक आदमी योग में बहुत रुचि रखता है। किसी आश्रम, किसी गुरु के पास रहकर योग सीखता है।एकदम साधु की तरह रहता है, खाता पीता है। कई वर्षों तक आश्रम में रहकर शास्त्रों एवं योग का अभ्यास करता है। इसके बाद लोगों को सिखाना शुरू करता है।ऐसे व्यक्ति को आप योग गुरु कह सकते हैं।
उम्मीद है कि आप अंतर समझ गए होंगे।
एक अंतर और होता है जिसकी चर्चा लोग नहीं करते।वह बहुत ध्यान से देखने पर ही पता चलता है।
" वो क्या है"
एक योग विशेषज्ञ जब योग की चर्चा करता है तो वैज्ञानिक सिद्धांतों पर अधिक जोर देता है। अपनी बातों में वह शरीर क्रिया विज्ञान,मनोविज्ञान एवं मेडिकल साइंस के तथ्यों को जरूर शामिल करेगा।
एक योग गुरु जब योग की चर्चा करता है तो आस्था, विश्वास,ईश्वर के प्रति समर्पण, गुरुभक्ति, आचरण एवं विचारों की शुद्धि आदि बातों को जरूर शामिल करेगा।
मित्रों, मैं अब ये पूरी तरह आपके ऊपर छोड़ना चाहता हूं कि योग से लाभ लेने के लिए आप किसकी सहायता लेना चाहेंगे! वैसे लाभ आप दोनों से ही उठा सकते हैं।
अब एक बेसिक सवाल लेते हैं!
बताइये- योग क्या है?
अधिकांश उत्तर कुछ ऐसे मिलते हैं-
" योग एक तरह का व्यायाम है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है"
"कपाल भाती, सूर्यनमस्कार आदि क्रियाएं योग है"
" टीवी पर जो .....गुरुजी का प्रोग्राम आता है, वो योग है"
चलिए सही उत्तर जानिए।
"योग एक ऐसा विज्ञान है जिसमें बताए गए सिद्धांतों का पालन आपके शरीर पर कई तरह से प्रभाव डालकर इसे स्वस्थ बनाता है। एक निश्चित एवं लंबे समय तक इसका अभ्यास मन पर भी प्रभाव डालकर इसे सबल बनाता है। शरीर और मन, दोनों के strong बन जाने पर बहुत सारी problems से छुटकारा पाया जा सकता है"
आपके मन में सवाल आ रहा होगा- अगर ये विज्ञान है तो इसे धर्म से क्यों जोड़ा जाता है?
इसका उत्तर बहुत आसान है।
" इसे धर्म के साथ जोड़ देने से इसका लाभ उठाना आसान हो जाता है। ये योगविज्ञान ही नहीं, बल्कि हर विज्ञान के ऊपर लागू है"
आइये, उदाहरण से समझें।
धर्म कहता है कि सूर्यग्रहण मत देखो, अनिष्ट होगा। शास्त्रों में लिखी गयी ये बात पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की आंखों को सूर्यग्रहण से बचाती आयी है। अब यही बात कोई वैज्ञानिक कहता तो उसकी बात केवल पढ़े लिखे लोगों तक ही रह जाती!
ये लेख लंबा होता जा रहा है। अतः हम उस सवाल पे आते हैं जो शुरू में हमारे सामने थे।
" क्या योग से व्यक्तित्व बदल सकता है"
इसका उत्तर 'हाँ' है।
"कैसे?"
योग एक विज्ञान है और इसके सिद्धान्त भौतिकी और गणित के सिद्धान्तों की तरह हर मानव शरीर पर लागू होते हैं। अतः योग के सिद्धांतों का पालन व्यक्तित्व में change जरूर लाएगा। ये change लाने के लिए कई वर्षों का समय लगेगा एवं निरंतर इसमें लगे रहना होगा। ये ठीक उसी तरह है जैसे कोई कई वर्षों तक शोध एवं परिश्रम करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त करे।
महान हिन्दू शास्त्र गीता कहती है- "अगर कोई खुद को बदलने के लिए योग का आश्रय लेता है, तो उसकी उपलब्धियों का कभी नाश नहीं होता।उसके प्रयासों का फल मिलकर ही रहता है"
आइये हम इस बात का विश्वास करके योग से लाभ उठाएं एवं अपने मन एवं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भारतीय संस्कृति की इस अनूठी विरासत से जुड़ें।
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